अपनी एक ‘निजी’ बात-चीत का खुलासा कर ईमान-दारी की मीडियाई वाह-वाही के सबसे बड़े हक़दार बने महानुभाव अब अपनी किसी दूसरी ‘निहायत निजी’ भ्रष्ट बात-चीत के सार्वजनिक होने को रोकने कोर्ट की शरण में हैं। Continue reading
November 2010 archive
Nov 21 2010
‘आई’ से ‘शी-ही’ तक गांधी का अव-मूल्यन
समझ नहीं पा रहा हूँ कि उन दबी-छुपी फुस-फुसाहटों से अपना पीछा कैसे छुड़ाऊँ जो बे-वजह सी सफाई देती नजर आती हैं कि यह कांग्रेस का निहायत अन्दरूनी मामला है, देश-दुनिया का इससे क्या लेना-देना? Continue reading
Nov 19 2010
सुदर्शन बनाम सोनिया : क्यों फिसली जुबान?
सोनिया के नातेदार विन्सी के माध्यम से इन्दिरा की सुरक्षा में इटालियन सेंध लगने से जुड़ी सम्भावना और इटली के खुफ़िया-तन्त्र द्वारा एसपीजी कमाण्डो को अपमानित किये जाने के विवरणों से प्रभावित होते हुए इन्दिरा और राजीव की हत्या में ‘सीआईए वाया सोनिया’ जैसा दावा करना सुदर्शन की तकनीकी, किन्तु बड़ी गम्भीर, भूल थी। Continue reading
Nov 14 2010
हुआ वही जो ओबामा तय कर आया
भाषण पिलाया गया कि यदि ओबामा को घर बुलाने के स्थान पर सारी सौदे-बाजी उसी के घर जाकर की होती तो करोड़ों का राजस्व बच गया होता। बात यहाँ होती या वहाँ, होना तो वही था जो ओबामा ने पहले से तय कर रखा था।
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Nov 07 2010
बढ़ते शिव-दर्द का नायाब नुस्खा!
सरकारी प्रोजेक्ट का सहारा मिल जाये तो इसे अगले आम चुनाव से पहले ही गाँव-गाँव, गली-गली, घर-घर तक पहुँचाया जा सकता है। हो गयी ना, बे-लगाम मन्त्रियों की क्लास लेने के शिव-दर्द से मुक्ति की गारण्टी?
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Nov 01 2010
ब्लैक-मेलिंग के मोहरे या शातिर खिलाड़ी?
मुख्य सूचना आयुक्त से बेहद आधारभूत खुला जन-सवाल है कि, इतने साल संवैधानिक पद और प्रतिष्ठा की अत्यन्त पौष्टिक मलाई छानते हुए, इतनी उच्च संवैधानिक संस्था की काल्पनिक निरीहता का रोना रोने से परे ब्लैकमेलिंग के इस शाश्वत् दोष के निवारण की दिशा में उनका अपना ऐसा तात्विक योगदान वास्तव में क्या रहा जिससे अधिनियम की ताकत को, किसी भी शंका से कतई परे, अक्षुण्ण बनाया रखा जा सका हो? Continue reading