मिस्टेक मामूली सी थी। दरअसल, सोचने की सारी जवाबदारी ‘नेहरू-गांधी’ वंशजों ने कब्जा रखी है। सो, पार्टी में क्या पीएम, क्या सीएम और क्या लल्लू-पंजू; सोचने-समझने की सभी की आदत कभी की छूट चुकी है। Continue reading
March 2011 archive
Mar 20 2011
बुरा न मानो होली है!
ईश्वर ने बैतरणी का पैमाना जरूर तय किया है लेकिन उसे पार करने की किसी की भी कोशिश पर वीटो नहीं लगाया है। उल्टे, यही कहा है कि परिणाम की चिन्ता किये बगैर कर्म करते जाने वालों को फल मिलता ही है! Continue reading
Mar 15 2011
थॉमस बरखास्त
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्णय पारित करने के ग्यारह दिनों बाद राष्ट्रपति द्वारा थॉमस की नियुक्ति को निरस्त करने का वारण्ट जारी हो गया।
विगत ३ मार्च को न्यायालय के निर्णय की घोषणा के बाद से ही केन्द्र सरकार से यह नैतिक अपेक्षा की जा रही थी कि वह थॉमस की बर्खास्तगी को अन्जाम देने के अपने दायित्व को बिना किसी विलम्ब के पूरा करे। लेकिन अपने ही आन्तरिक दबावों में घिरी यूपीए सरकार इससे हिचक रही थी।
उल्लेखनीय है कि इस सम्बन्ध में लिखे अपने पिछले आलेख में मैंने केन्द्र की इस हिचक पर तीखा संवैधानिक सवाल उठाया था। अन्तत: सोमवार को राष्ट्रपति ने थॉमस की नियुक्ति को निरस्त करने के वारण्ट पर अपने हस्ताक्षर कर ही दिये।
(१५ मार्च २०११)
Mar 13 2011
आम और खास का फ़र्क!
जनता के सेवक के रूप में हाथ जोड़ कर जीते मेम्बर ने पूछा कि क्या विधायक इतने गये-गुजरे हो गये हैं कि उन्हें महज ‘आम आदमी’ मान लिया गया है? स्पीकर ने इसे बहुत गम्भीर माना और जाँच का आश्वासन दे दिया। Continue reading
Mar 13 2011
इतने भी बेदाग नहीं हैं मिस्टर ‘क्लीन’
न तो उनका अतीत इतना निष्कलंक रहा है और ना ही वर्तमान उतना बेदाग है जितना कि सिद्ध करने की कोशिश में वे अथवा उनके लगुए-भगुए लगे हुए हैं। ‘गुजरात के एक मन्त्री के खिलाफ़ हुई कार्यवाही का बदला निकालने के लिए ही भाजपा उन्हें कलंकित करने पर तुली हुई है’ जैसे राजनैतिक डिटर्जेण्ट भी उन पर लग चुके, देश के अब तक के सबसे गहरे, भ्रष्टाचार के दागों को साफ़ नहीं कर पायेंगे। Continue reading
Mar 09 2011
सीवीसी पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला : गैर-कानूनी थी नियुक्ति
स्वतन्त्र भारत के न्यायिक इतिहास में देश की सबसे बड़ी अदालत का यह फैसला जितना दो टूक है उतना ही दूरगामी भी है। यह वास्तविक प्रजा-तन्त्र को परिभाषित करने वाला मील का पत्थर साबित होगा। Continue reading
Mar 06 2011
ओ भाई, जरा फिर से देखो!
विलासराव ने रिव्यू माँगा है। समस्या है कि तय नहीं कर पा रहा हूँ कि देशमुख की उँगली किसके खिलाफ़ उठी है? चैनलों पर होने वाली चर्चा के पॉलिटिकल कण्टेण्ट पर या चर्चा-कारों के रात में बैठकर दारू पीने पर? Continue reading