अन-एण्डिंग बात के दि एण्ड के लिए एक टिप देता हूँ — सोनिया एण्ड मनमोहन एपियर टु बि इन द स्टेट ऑफ़ वार! गोया, प्रणव बनाम चिदम्बरम की जासूसी-गुत्थी पीएम फ़ॉर द टाइम बीइंग के नेक्स्ट नॉमिनेशन के चौगिर्द घूम रही है। Continue reading
June 2011 archive
Jun 19 2011
रूठे-रूठे सैंयाँ हमारे, क्यों रूठे?
इधर से बहने वाली हवा ने भी रुख थोड़ा बदल लिया है। पीएम की ईमान-दारी का सर्टिफिकेट तो अभी भी है लेकिन किसी ‘खास’ रिमोट के कण्ट्रोलिंग पॉवर के सामने उसके बे-बस हो जाने की ओर भी इशारा कर देते हैं। Continue reading
Jun 07 2011
योग ने रामलीला मैदान में खोले छलावे के पेंच
नये दैवों को गढ़ने की आतुरता में, जीवन-काल में एक-क्षत्र आराध्य घोषित अपनी ही पार्टी की ‘आयरन-लेडी’ की थू-थू करने में जुटी, सोनिया-ब्रिगेड के सामने स्वयं सोनिया पर ही उछाले जा रहे थूक की बौछार से बचाव के रास्ते तलाशने की समस्या खड़ी हो गयी है। परीक्षा की इस कठिन घड़ी का परिणाम ही तय करेगा कि वह अपने दीर्घ-कालीन लक्ष्य को पाने में सफल हो पायेगी या नहीं? Continue reading
Jun 07 2011
मुद्दा देश है, बाबा नहीं
एक के बाद एक, सुराज के लिए जरूरी आधार-स्तम्भों को रेखांकित करने की प्रक्रिया तेजी पकड़ रही है। सुराज को हर हालत में पा लेने के जज्बे की आग में आहुति देने की होड़ लग गयी दिख रही है। समझ आ रहा है कि लोक-तांत्रिक सुराज के लिए आम आदमी कितनी बेचैनी से प्रतीक्षा कर रहा था?
खतरे भी उतनी ही स्पष्टता से उभरने लगे हैं। पहला जोखिम प्रच्छन्न शक्तियों द्वारा झण्डे को हथिया लेने का है। उतना ही बड़ा दूसरा जोखिम उन ताकतों द्वारा देश को बरगलाने का है जिनके हितों पर लोक-तान्त्रिक सुराज की आमद से बिल्कुल सीधी चोट पहुँचेगी। ये ताकतें १९७५ के दुहराव की घुड़कियाँ तक दे रही हैं। इसके लिए सबसे आसान छछूँदर छोड़ भी दी गयी है — देश के मुद्दे को रामदेव एण्ड कम्पनी का होना प्रचारित करना शुरू कर दिया है।
(०७ जून २०११)
Jun 05 2011
बना लेना गधे को भी अपना बाप
एक नामी-गिरामी कठ-मुल्ला दीन के नाम पर जम्हूरियत की जड़ खोद रहे थे। अमरीका का उदाहरण देकर समझा रहे थे कि दीन की बुलन्दी के लिए उस कम्युनिस्ट आइडियालॉजी का आसरा लो जिनका न तो कोई धरम है और न कोई ईमान! Continue reading