संसद् का सम्मान करते हुए जब अन्ना ने अपना अनशन तोड़ने का ऐलान किया तब देश को मूर्ख बनाने में सफल रही कांग्रेस और उसके संसदीय नेतृत्व ने मूँछों ही मूँछों में मुस्कुराते हुए प्रतिक्रिया दी कि साबित हुआ कि संसद् की इच्छा ही देश की इच्छा है! Continue reading
August 2011 archive
Aug 23 2011
लोकपाल : दायित्व अब देश का
आरएएफ को तैनात कर उत्तेजना फैलाने की कुटिल सरकारी चाल चली जा चुकी है। इसलिए, अब यह देश का दायित्व है कि उसने अभी तक जिस तरह, अन्ना की मौजूदगी में, सारी सरकारी चालों को धूल चटायी है ठीक उसी लहजे में आगे भी बढ़ता रहेगा। तब भी जब, ईश्वर न करे, अन्ना का इह-लौकिक अस्तित्व मिट जाये। अन्ना के वज़ूद को चिर-स्थाई बनाने का यही इकलौता उपाय है। अन्ना को विजय-माल पहनाने का भी। और, हमारे लोक-तान्त्रिक देश को उसका प्राप्य दिलाने का भी। Continue reading
Aug 21 2011
बॉस कभी गलत नहीं होता
बाबा और अन्ना जैसों की फैलायी अफ़वाहों पर नहीं चिदम्बरम, सिब्बल और बंसल के भरोसे पर भरोसा रखिये। भ्रष्टाचार की परतें सैचुरेशन पाकर खुद-ब-खुद ढहेंगी। उजला हिन्दुस्तान एक बार फिर से दिखायी देगा। Continue reading
Aug 16 2011
लोकपाल : आन्दोलन कुचलने की रण-नीति
आकण्ठ भ्रष्ट हो चुका तन्त्र इतनी नकारात्मक दूरी तय कर चुका है कि वहाँ से सकुशल वापसी कतई असम्भव हो गयी है। इस स्थिति में, खन्दक की अन्तिम लड़ाई लड़ने के अलावा, अन्य कोई विकल्प उसके पास बचा नहीं है। Continue reading
Aug 14 2011
तुम्हारी-हमारी, दोनों की जै-जै
चलिए, बतलाता हूँ कि ब्याह-बारात के जनवासों के शास्त्रार्थ की याद यक-ब-यक क्यों आयी थी? हुआ यह कि मँहगाई के मुद्दे पर संसद् में बीजेपी-कांग्रेस के बीच हुई ‘गहरी’ ताजी बहस की लाइव कवरेज देख रहा था। आपने भी देखी होगी। वही ‘न कोई जीता, न कोई हारा’ वाली। Continue reading
Aug 14 2011
लोकपाल : जन-शक्ति का दम
सोलह अगस्त लोक-तन्त्र की अब तक की सबसे कठिन परीक्षाओं से भरा होगा। शहर, कस्बे या गाँव की गलियाँ तय करेंगी कि भ्रष्ट आचरण के खिलाफ़ किया गया शंख-नाद कितनी दूर तक और कितनी देर तक अपनी गूँज फैलाता है? Continue reading
Aug 07 2011
आल इज़ नॉट वैल
जब पार्टी कह रही थी कि मैडम की सर्जरी कब होगी, पता नहीं तब जिम्मेदारी मिलते ही पहली सुबह पण्डितजी ने मुँह खोला कि सर्जरी सफल रही है! ‘सीक्रेट मिशन’ के ऐसे बिना इजाजत खुलासे के लिए लताड़ तो पड़नी ही थी। Continue reading