थप्पड़ से आक्रोषित होकर इस तरह एक-जुट प्रतिक्रिया देना लोक-तान्त्रिक संकट का तत्व-परक हल नहीं है। ऐसे जमीनी उपाय ढूँढ़ने होंगे जो जन-आक्रोष को इतना ठण्डा करें कि ताजी घटना अपने किस्म की अन्तिम हो जाए। Continue reading
November 2011 archive
Nov 27 2011
मेरी मुर्गी की डेढ़ टाँग!
पोप बेनेडिक्ट सोलहवें को इमाम के होठों का चुम्बन लेते दिखलाया गया था और हिन्दू-मुसलमानों को सेक्युलरिज़्म का पाठ पढ़ाने वाली वेस्टर्न दुनिया को पोप की फोटो का ऐसा अनअथोराइज़्ड इस्तेमाल नागवार गुजरा था।
Nov 23 2011
‘तेरे’ और ‘मेरे’ का फ़र्क
पकड़ी मछलियों की दोनों ढेरियों में आम आदमी को कोई फ़र्क ठीक वैसे ही नहीं दिखेगा जैसे कि वह पॉलिटीशियन्स के अपने-अपने ग्रुप्स में बाकी के दूसरे ग्रुप्स से दिखलाये जा रहे डिफ़रेन्स को नहीं समझ पाता है।
Nov 22 2011
बाँटो और राज करो
येन-केन-प्रकारेण आम जन को भ्रमित कर देना ही मायावती की सबसे बड़ी ताकत है। वह इसका इस्तेमाल भी ब-खूबी करती हैं। बँटवारे की ताजा चाल इसी सिलसिले की अगली कड़ी है।
Nov 20 2011
आर या पार : कौन किस पार?
जमाना यह आ गया है कि सब कुछ एक कॉम्पिटीशन होकर रह गया है जिसमें आर-पार की लड़ाई का दम्भ दिखलाना तो हर कोई चाहता है लेकिन वह इस सचाई को छिपाए भी रखना चाहता है कि वह असल में है किस पार?
Nov 13 2011
धत् तेरे कन्फ़्यूजन की!
कन्फ़्यूजन पर कांग्रेस की बपौती नहीं है। बीजेपी की चार-दीवारी में घुसते ही लगेगा कि टक्कर बराबरी की है। और, ममता दीदी? एक कन्फ़्यूजन यह भी कि सियासती ताकतों के शोर ने अन्ना हजारे तक को कनफुजिया दिया है। Continue reading