गुजरात के राज्यपाल को इतनी वैधानिक समझ रही भी थी या नहीं कि वह लोकायुक्त की नियुक्ति के अत्यन्त क्लिष्ट विषय पर, ‘व्यक्ति’ अथवा ‘दल’ सापेक्ष भाव से पूरी तरह ऊपर उठ कर विचार कर सकें?
January 2012 archive
Jan 27 2012
पद्म-सम्मान का अधिकारी नहीं, ब्लैक-लिस्टेड नागरिक
‘पद्म’ सम्मानों का जमीनी तथ्य यह है कि यह सम्मान किसी भारतीय के ऐसे प्राकृतिक, आधार-भूत या संवैधानिक अधिकार नहीं हैं जिन्हें वह किसी न्यायिक चार-दीवारी के भीतर जाकर अपने लिए ‘सुरक्षित’ कर सके। Continue reading
Jan 22 2012
अनोखी टीआरपी
एक पुराना उलाहना है — न नौ मन तेल होगा और न राधा नाचेगी। गोया, सब कुछ भगवान भरोसे! भगवान का यह भरोसा बहुत पुख़्ता है। इसे इस तरह भी देखा जा सकता है कि आज के समय में भगवान की टीआरपी लगातार बढ़त पर है। Continue reading
Jan 15 2012
किसमें कितना है दम!
दिग्गी ने कहा जरूर है कि वे पार्टी आला-कमान से इजाजत लेकर ही हिन्दुओं के उस जलसे में गये थे लेकिन इस फोटो काण्ड ने उनकी अपनी पर्सनल दम-ख़म की कलई तो उतारी ही पार्टी की दम-ख़म का भी फालूदा बना दिया है।
Jan 15 2012
माया, मूर्ति और चुनाव आयोग : अग्नि-परीक्षा!
अतीत में मच चुके गम्भीर बवालों के परिप्रेक्ष्य में, यह आयोग की निष्पक्षता की अग्नि-परीक्षा है कि संवैधानिक प्रावधानों की अपने हिस्से की ताजी समीक्षा के बाद वह इस स्वाभाविक विकास से पलटी नहीं मारेगा।
Jan 08 2012
जीत और हार!
‘हार-जीत’ के गेम में ‘ड्रॉ’ का कोई स्कोप नहीं। लेकिन, खुदा न ख़ास्ता टाई की नौबत आ जाए तो क्वाइन उछाल कर या फिर किसी प्रिव्हिलेज्ड वीटो के सहारे, दिस वे ऑर दैट, हार-जीत की पर्ची टिका ही दी जाती है।
Jan 01 2012
ये भी तीतर वो भी तीतर
जेल में मोबाइल फोन के इस्तेमाल की इन-इफ़ेक्टिव पाबन्दी हटा ली जायेगी। बताया जा रहा है कि इस तरह जब भाई लोग खुल्लम-खुल्ला बात करेंगे तो प्रशासन को उनकी प्लानिंग मालूम करने का गारण्टीड मौका मिलेगा!