“तिनके की असली महत्ता डूबते का सहारा बनने में नहीं, चोर की दाढ़ी में अटक जाने में है।” आगे न उन्होंने कुछ कहा और न मैंने। बस, एज़ आलवेज़, कॉम्प्रोमाइज़ का एक मासूम सा फ़ार्मूला लिखा गया दोनों पार्टियों के बीच। Continue reading
March 2012 archive
Mar 18 2012
(ना) जियो जी भर के!
वह रुखसत हुआ और दिमाग ठण्डा हुआ तो ध्यान आया कि ‘जियो, जी भर के’ वाला फार्मूला यूनिवर्सल लॉ नहीं है। नहीं, त्रिवेदी के रेजिग्नेशन की खबर सुन कर नहीं कह रहा हूँ। दरअसल, मुझे एक कॉमर्शियल एड याद आ गया। Continue reading
Mar 11 2012
दिल के अरमां बह गये
गली-गली में एक ही गाना गूँज रहा है — दिल के अरमां आँसुओं में बह गये। होली के हुड़-दंगिए ने बड़ी दिलचस्प चुटकी कसी। बोला, जीतने वाला हारे हुओं को चिढ़ा रहा है तो हारा हुआ अपना ग़म ग़लत करने में जुटा है। Continue reading
Mar 04 2012
तेल और तेल की धार!
वह ऊँट के किसी दूसरी करवट बैठने का जोखिम उठाने को लेकर डरा हुआ है। ख़ौफ़ इतना कि बिरादरी के किसी उत्साही लाल ने कोई साइड लेने के यदि संकेत भी दिये तो बुजुर्गों ने उस बन्दे को ही डिस-ओन कर दिया। Continue reading