आईसीआईसीआई होम फ़ाइनेन्स कं० अपने ग्राहकों से वसूली राशियों की पावती को महीनों बाद की तारीखों में दर्ज करती है। तो क्या आईसीआईसीआई होम फ़ाइनेन्स कं० ग्राहकों से वसूली राशियों को सट्टा, शेयर, हवाला या तस्करी जैसे गैर-कानूनी धन्धों में ‘बेनामी’ रूप से लगाती है? Continue reading
September 2012 archive
Sep 12 2012
चिकुनगुनिया और डेंगू : एक ही थैली के चट्टे-बट्टे
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी थी कि डेंगू बुखार का एक नया दौर इस महा-मारी के कारक विषाणुओं की संक्रमण-क्षमता के अबाध्य रूप से कायम रहने के कारण जल्दी ही शुरू होगा! किन्तु, संगठन के तमाम दावों को झुठलाते हुए, डेंगू नहीं चिकुनगुनिया का ताजा प्रकोप सामने आया। Continue reading
Sep 10 2012
बर्ड-फ़्लू : बढ़ते बाजार-वाद का विषैला फल
हालात कुल मिलाकर ‘मर्ज बढ़ता ही गया, ज्यों ज्यों दवा की!’ वाले ही हैं। बल्कि, इससे भी बुरे। उप-चार और रोक-थाम के उपाय केवल निरर्थक भर नहीं हैं, वे विभीषिका बढ़ाने के निमित्त भी बने हैं। कारण भी बिल्कुल स्पष्ट है — टोटकों से बीमारी को सीधे निशाना बनाने का अर्थ जोख़िमों को आगे बढ़ कर स्वयं निमन्त्रित करना होता है। Continue reading
Sep 07 2012
क्या होमिअपैथी दवाएँ सचमुच सुरक्षित हैं?
चिकित्सा के एक दर्शन के रूप में होमिअपैथी का प्रादुर्भाव दवाओं से होने वाले नुकसानों से पार पाने की खोज की नींव पर ही हुआ था। यह विधा बीमारी के जैविक कारक को इतना अवसर नहीं देती है कि वह, स्वयं औषधि का ही सहारा लेते हुए, बीमार शरीर के भीतर उत्परिवर्तित अथवा विकसित हो सके। इस प्रकार वह यह तो करती ही है कि उपचार स्थायी हो, यह भी सुनिश्चित करती है कि रोग-विस्तार की अनियन्त्रित स्थितियाँ उत्पन्न न हों। Continue reading
Sep 05 2012
डेंगू : रोकथाम और उपचार दोनों ही आसान हैं
डेंगू के प्रकोप की हर सम्भावना पर प्रभावित व्यक्तियों को होमिअपैथी की समुचित खुराकें देने से न केवल रोग की प्रभावी रोक-थाम होगी, और इनके बीच रोग की तीव्रता की गुंजाइश धीरे-धीरे कम होती जायेगी, बल्कि इस पूरे ही क्षेत्र से डेंगू का समूल सफाया तक किया जा सकेगा। Continue reading