न्यायिक गुण-वत्ता को बनाये रखने के वर्मा समिति के सुझाव से आयोगों और जाँच समितियों में न्याय-पालिका से सम्बद्ध व्यक्तियों की नियुक्ति के बढ़ते जा रहे रुझान पर भी गम्भीर प्रश्न-चिन्ह लग जाते हैं। यही नहीं, ज्वलन्त प्रश्न तो यह भी है कि सुझावों में ऐसा क्या है जो न्यायिक प्रक्रिया से दूर रहा व्यक्ति सुझा ही नहीं सकता था? Continue reading
January 2013 archive
Jan 06 2013
चिन्ता नहीं, सवाल
किसी आपराधिक कृत्य के परिणाम के आगे जब अपराधी की तात्कालिक मन:-स्थिति या फिर वास्तविक उम्र के आगे उसकी मानसिक उम्र का तर्क इतना प्रबल ठहराया जा सकता है कि दण्ड संहिता के अन्तर्गत् सम्भावित कारावास की अवधि के निर्धारण की कौन कहे, फाँसी की घोषित हो चुकी सजा तक को कम करा ले; तब उसी परिस्थिति-जन्य तात्कालिक मानसिक अवस्था का तर्क एक अ-वयस्यक को समय-पूर्व वयस्क हुआ क्यों नहीं ठहरा सकता है? Continue reading