ऐसा कम ही हुआ है जब किसी ने अपने अस्तित्व के औचित्य पर प्रश्न उठाये हों। और, ऐसा तो हुआ ही नहीं है कि किसी ने स्वयं अपनी ही शुचिता के मिथक पर उँगली उठायी हो। किन्तु न्याय-मूर्ति गांगुली से जुड़े ताजे प्रशिक्षु-विवाद ने ऐसी सम्भावनाओं को जन्म दिया है कि यह भरोसा करने को जी करने लगे कि बागड़ भी खेत को खा सकती है। Continue reading
December 2013 archive
Dec 20 2013
देवयानी विवाद : एक पहलू यह भी
देवयानी के साथ स्वयं को खड़ा हुआ दिखलाने वाला लगभग प्रत्येक प्रखर वक्ता चैनल दर चैनल कहता फिर रहा है कि देवयानी अपनी नौकरानी को अमरीका में जो भुगतान कर रही है वह भारतीय मानकों के अनुसार है। और यह बेहतर भी है। गोया, जब यह विदेश-सेवा अधिकारी अपनी घरेलू नौकरानी को डॉलर में भुगतान करती है तो इसको उसकी उदारता ही मानना चाहिए। Continue reading