निर्वाचन आयोग कोई भी बचकानी सफ़ाई भले देता फिरे लेकिन वह इसे झुठला नहीं पायेगा कि उसने न्यायिक आदेश के पालन के अपने महत्व-पूर्ण दायित्व की खुली अवहेलना की है। और, यह उसके द्वारा सर्वोच्च न्यायालय की सोच-समझ कर की गयी अवमानना से रत्ती भर भी कम नहीं है। Continue reading
April 2014 archive
Apr 06 2014
सूचना आयोग ही नहीं, अन्य कईयों के चेहरे पर कालिख पोत गयी लोक अदालत
अन्तत:, सूचना आयोग ने अपनी हेकड़ी पूरी कर ही ली। परिणाम ‘हासिल आया शून्य’ ही रहा या फिर ‘किसी-किसी को कुछ-कुछ हासिल भी हुआ’; यह गहरी समीक्षा का विषय है। ऐसी निष्पक्ष समीक्षा से ही यह निष्कर्ष निकल पायेगा कि २९ मर्च २०१४ की लोक अदालत राज्य सूचना आयोग के साथ ही राज्य में पदस्थ अन्य संवैधानिक चेहरों पर भी कोई कालिख तो नहीं पोत गयी? Continue reading