क्या रेल बजट से पहले अभी से ही भाड़े में इतनी ज्यादा बढ़ोत्तरी केवल इसलिए की गयी है ताकि जब रेल्वे में एफ़डीआई की योजना लागू हो जाये तब भाड़ा बढ़ा कर देश के हितों को चोट पहुँचाने के आरोप का टीका एफ़डीआई के माथे नहीं लगे और यह सरकार विदेशी पूँजी-निवेशकों के हाथों में देश-हित को गिरवी रख देने के गम्भीर आरोप से बची रह सके? Continue reading