लगता है कि म० प्र० राज्य सूचना आयोग में या तो अधिनियम की वैधानिक समझ के लिए आवश्यक रहने वाली आधार-भूत योग्यता के स्थान पर अ-योग्य और अ-पात्रों की भी नियुक्तियाँ हुई हैं या फिर ऐसे सारे व्यक्ति जानते-समझते हुए अधिनियम के ध्येय, मंशा और प्रावधानों की पूर्ति में अड़ंगा डालने की नीयत से कार्य कर रहे हैं। Continue reading
September 2015 archive
Sep 16 2015
म० प्र० राज्य सूचना आयोग : सवाल वही पुराना
अधिनियम के व्यापक हित में है कि मेरे उठाये आज के सवाल पर आयोग की ओर से ही तथ्यों का कोई त्वरित स्पष्टीकरण आये। आयोग की चुप्पी का अर्थ होगा कि अधिनियम की सार्थकता म० प्र० राज्य सूचना आयोग के विद्यमान ढाँचे में सुरक्षित नहीं है। तब, महामहिम राज्यपाल महोदय पर संवैधानिक कदम उठाने का दबाव डालना पड़ेगा। Continue reading
Sep 12 2015
खेत बदौलत जिये इन्सान, फिर क्यों भूखा मरे किसान?
राजधानी भोपाल की हुजूर तहसील में अधिकांश ग्राम पंचायतों में किसानों की खरीफ फसल प्राकृतिक आपदा का शिकार हो चुकी है। यहाँ ऐसे किसान उँगलियों पर ही गिने जा सकेंगे जिनकी खरीफ फसलें खेतों से खलिहानों तक पहुँचेंगी। और, पहुँचेंगी भी तो इतनी जिसे ठीक-ठाक कहा जा सके। किसानों ने खड़ी फसल के खेतों को भी हाँकना शुरू कर दिया है। Continue reading