आयुर्वेद पीड़ित व्यक्ति के भौतिक (Physical) अवलोकनों से प्राप्त होने वाली जानकारियों के आधार पर अलग-अलग दोषों में अलग-अलग भौतिक सुधारों को अपने उपचार का लक्ष्य बनाती है और तदनुसार ही अपनी औषधि निर्धारित करती है। जबकि होमियोपैथी व्यक्ति-विशेष से सम्बन्धित दैहिक (Phisiological) सूचनाओं का मूल्यांकन कर, और फिर अवचेतन में विलुप्त-प्राय हो चुकी इन दैहिक क्षमताओं को पुनर्जागृत कर, उन्हें ही सम्बन्धित व्यक्ति का समग्रित उपचार करने की प्रेरणा देती है। Continue reading
July 2020 archive
Jul 06 2020
कोविड-१९ बनाम महामारी : कथ्य-१
वैसे तो इसमें अन्तिम विजय मानव की ही होगी; किन्तु, उसकी यह विजय सदा स-शर्त रहेगी — विषाणु का समूल नाश कभी नहीं होगा। क्योंकि, ऐसे किन्हीं भी प्रयासों से विनष्ट होने से बच रहे विषाणु स्वयं को परिवर्धित कर अपनी प्रकार के भविष्य के समूहों को ऐसे प्रत्येक प्रयास-विशेष के प्रति पूरी तरह से प्रतिरोधी बना लेंगे। सरल शब्दों में, मानव तथा विषाणु के बीच अस्तित्व का ऐसा सन्तुलन सदा बना रहेगा जिसका पलड़ा एक सीमा तक मनुष्य के पक्ष में झुका होगा।
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Jul 01 2020
कोविड-१९ बनाम महामारी : तथ्य
परम्परा-वादी विज्ञानियों के लिये उनके द्वारा परिभाषित जीवों से परे जीवन का कोई और अस्तित्व नहीं है। उनकी यह नकारात्मकता चिकित्सा-जगत् का एक ऐसा बड़ा गड्ढा है जिसमें स्वास्थ्य और जीवन-रक्षा की व्यापक सम्भावनाएँ दफ़न हो जाती हैं।
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