जन्म | : | २ जुलाई १९५० |
जन्म-स्थान | : | जबलपुर, मध्य प्रदेश (भारत) |
वर्तमान निवास | : | यूबी-३, सहगल टॉवर; ए/१५, हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी; कोह-ए-फ़िज़ा; भोपाल (मध्य प्रदेश) भारत ४६२००१ |
विशिष्ट शैक्षिक योग्यता | : | भूतपूर्व फ़ैलो, द ब्रिटिश इंस्टिट्यूट ऑफ़ होमिअपैथी |
विशिष्ट व्यावसायिक योग्यताएँ | : | ग्राफ़िक डिजाइनिंग; छपाई उद्योग; छाया-चित्रकारिता; होमिअपैथी चिकित्सा। |
वर्तमान गतिविधियाँ | : | विशेषज्ञ होमिअपैथी परामर्श; स्वतन्त्र पत्रकार व छायाकार; सामाजिक सरोकारों से जुड़ी स्वयंसेवी गतिविधियाँ। |
स्वामी/ संगठक/ प्रशासक | : | www.jyotiprakash.me www.sajag-india.com |
कुछ उल्लेखनीय भागीदारियाँ | : | मूक, बधिर और नेत्र-हीन नव-युवकों को हाथ-करघा से कपड़ा बुनने के प्रशिक्षण का अनोखा प्रयोग;
गांधी शान्ति प्रतिष्ठान द्वारा सन् १९७८ में बन्धुआ मजदूरी की प्रथा पर देश-व्यापी नमूना-सर्वेक्षण के लिए गठित प्रारम्भिक दल की सदस्यता; बन्धुआ मजदूरी की प्रथा के प्रचलन की समीक्षा के लिए मध्य प्रदेश के सतना जिले के एक छोटे हिस्से में सघन सर्वेक्षण; मध्य प्रदेश के सतना और रीवा जिलों में १० वर्षों से अधिक बन्धुआ मजदूरों के बीच सघन कार्य; सन् १९८३ में, विशेष रूप से मध्य प्रदेश के सतना और रीवा जिलों को केन्द्रित करते हुए, सर्वोच्च न्यायालय में जन-हित की याचिका के माध्यम से औसत ग्रामीण गरीबों से जुड़े ज्वलन्त प्रश्नों को देश के सामने उजागर करने की पहल; आम आदमी को केन्द्र में रखते हुए स्वतन्त्र पत्रकार और छाया-चित्रकार के रूप में पर्याप्त उल्लेखनीय कार्य; मध्य प्रदेश में हिन्दी पत्रकारिता की दशा और दिशा पर द्वितीय प्रेस कमीशन के लिए रपट; सामाजिक न्याय की दिशा में रचनात्मक भूमिकाएँ; गरीबों, विशेष रूप से बन्धुआ मजदूरों, के बीच खेसारी दाल से होने वाली लँगड़ेपन की बीमारी (Lathyrism) पर मध्य प्रदेश के रीवा और सतना जिलों में उल्लेखनीय सामाज-शास्त्रीय सह चिकित्सकीय शोध-कार्य; घेंघा (Goiter) नामक बीमारी पर उल्लेखनीय सामाज-शास्त्रीय सह चिकित्सकीय शोध-कार्य; पलासखेड़ी, बहिरम स्थित स्वयंसेवी संगठन सिरडी के साथ मिलकर मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के आन्तरिक आदिवासी अंचलों में नि:शुल्क चिकित्सा-सेवा का चुनौती से भरे दायित्व का सफल निर्वाह; केवल मौखिक होमिअपैथीय औषधियों के प्रयोग से उपरोक्त अंचलों के निवासियों के बीच से मलेरिया के समूल उन्मूलन की अविश्वसनीय सी सफलता; होमिअपैथी के दर्शन को पुनर्परिभाषित करने की दिशा में उल्लेखनीय शोध; विकासवाद के नये सिद्धान्त का प्रस्ताव; यह वैज्ञानिक सिद्धान्त प्रस्तावित किया कि होमिअपैपैथी चिकित्सा पद्धति विकासवाद के उपरोक्त सिद्धान्त पर ही कार्य करती है; अतीत में वैब साइट www.rediscoverhomoeopathy.com और www.sarokaar.com का स्वामित्व, संगठन व संचालन; मध्य प्रदेश में सूचना का अधिकार अधिनियम की दशा और दिशा पर खुली जन-समीक्षात्मक पुस्तक नो कमेण्ट्स का लेखन; अनौपचारिक स्वयंसेवी संगठन सजग का गठन जिसने उपरोक्त पुस्तक नो कमेण्ट्स का प्रकाशन किया। |
दूर-भाष | : | +९१ ७५५ २५४४६६४ +९१ ९८२६४ ३००६५ |
दूर-सम्पर्क | : | me@jyotiprakash.me |