लोक अदालत के नाम पर सूचना आयोग द्वारा केवल आवेदकों से ही नहीं बल्कि स्वयं सूचना का अधिकार अधिनियम से भी जाल-साजी की जा रही है। अधिनियम द्वारा निर्धारित सु-स्पष्ट वैधानिक प्रक्रिया को लोक अदालतों में नहीं, आयोग की नियमित अपीली सुनवाइयों के माध्यम से ही पूरा किया जा सकता है।
Category: सरोकार
Jul 02 2015
यह कैसी लोक अदालत?
क्या यह सम्भव है कि दो पक्षों के बीच चल रहे किसी वैधानिक/न्यायिक विवाद की सुनवाई किसी लोक अदालत में उस स्थिति में भी पूरी कर ली जाये (और फैसला भी सुना दिया जाये) जब उस विवाद के अपीलकर्ता ने अपने प्रकरण की सुनवाई उस लोक अदालत में करने की सहमति दी ही नहीं हो? Continue reading
Jun 24 2015
तैयार रहिए, नये ‘तिवड़ा’ घोटाला के लिए!
खेसारी दाल (तिवड़ा) तो एक बहाना है। मध्य प्रदेश सरकार में से कोई भी यह सचाई उजागर करने को तैयार नहीं है कि इकार्डा को एक सुरक्षित जगह की तलाश थी क्योंकि मध्य-पूर्व की अस्थिरता से उसे अपना बोरिया-बिस्तर बाँधना पड़ा है। और, मध्य प्रदेश सरकार इसके लिए पट गयी। बिना सोचे-समझे। Continue reading
Jun 19 2015
अब दूध में डिटर्जेण्ट
खाद्य व पेय सामग्रियों के उत्पादकों-विक्रेताओं को कानूनी संरक्षण देने के लिए ‘सुरक्षित’ सीमा का एक नया, बाजार-वादी, मुहावरा गढ़ लिया गया है। इस और इस जैसे सारे मुहावरों का तकनीकी पेंच यह है कि ऐसे सारे उत्पादनों के अपने आप में अकेले अथवा सम्मिलित रूप से ग्रहण करने की ‘सुरक्षित’ सीमा क्या है, इसका उल्लेख कहीं नहीं होता है। Continue reading
Jun 14 2015
गरीबों के नाम पर नया शिगूफ़ा
गरीब को प्रोटीन उपलब्ध कराने के बरसों पुराने झुन-झुने के नाम पर छोड़ा गया एक नया शिगूफ़ा सामने आया है। अन्तर्राष्ट्रीय बिरादरी दावा कर रही है कि प्रयोग-शालाओं में तैयार की जाने वाली ‘सुरक्षित’ खेसारी, दाने-दाने और पैसे-पैसे को मोहताज गरीब की, प्रोटीन की सारी आवश्यकताओं की पूर्ति करेगी। Continue reading
Jun 11 2015
म० प्र० राज्य सूचना आयोग की खोखली सफाई
सजग और राष्ट्रीय जागरण मंच ने बीती ४ जून को उसके द्वारा अपनाई जा रही घोर अपारदर्शिता के विरोध में म० प्र० राज्य सूचना आयोग को जो ज्ञापन दिया था उससे आयोग में हड़कम्प मचने के संकेत आने लगे हैं। आयोग बैक पुट पर है। Continue reading
Jun 06 2015
अपनी कार्य-शैली को तत्काल प्रभाव से पार-दर्शी बनाये आयोग
स्वयं राज्य सूचना आयोग ही जब अधिनियम के अन्तर्गत् अपने बन्धनकारी दायित्व की उपेक्षा कर रहा है तो कोई यह अपेक्षा कैसे कर सकता है कि वह प्रदेश के विभिन्न लोक-प्राधिकरणों द्वारा अपने कार्यालयों में इसके पालन की निगरानी करने जैसी जिम्मेदारी का सचमुच ही निर्वाह करता होगा? Continue reading
May 31 2015
क्या संदिग्ध है सूचना-प्रदाय में सूचना आयुक्त की भूमिका?
स्वयं आयुक्त यह कहते हुए देखे गये हैं कि आदेश पारित करने के बाद से उनको अपनी जान का खतरा दिखने लगा है! सवाल यह है कि जो कोई भी धमकी दे रहा है वह सीधे-सीधे सूचना आयुक्त से इतना नाराज क्यों है? और, जानकारी माँग कर मामले को खोद निकालने वाले आवेदक को उसने बख्श क्यों दिया है? Continue reading